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Showing posts from April, 2024

भगवान का संकेत

🌳 भगवान का संकेत 🌳 एक बार एक किसान जंगल में लकड़ी बिनने गया तो उसने एक अद्भुत बात देखी। एक लोमड़ी के दो पैर नहीं थे, फिर भी वह खुशी खुशी घसीट कर चल रही थी। यह कैसे ज़िंदा रहती है जबकि किसी शिकार को भी नहीं पकड़ सकती, किसान ने सोचा. तभी उसने देखा कि एक शेर अपने दांतो में एक शिकार दबाए उसी तरफ आ रहा है. सभी जानवर भागने लगे, वह किसान भी पेड़ पर चढ़ गया. उसने देखा कि शेर, उस लोमड़ी के पास आया. उसे खाने की जगह, प्यार से शिकार का थोड़ा हिस्सा डालकर चला गया। दूसरे दिन भी उसने देखा कि शेर बड़े प्यार से लोमड़ी को खाना देकर चला गया. किसान ने इस अद्भुत लीला के लिए भगवान का मन में नमन किया। उसे अहसास हो गया कि भगवान जिसे पैदा करते है उसकी रोटी का भी इंतजाम कर देते हैं। यह जानकर वह भी एक निर्जन स्थान चला गया और वहां पर चुपचाप बैठ कर भोजन का रास्ता देखता। कई दिन गुज़र गए, कोई नहीं आया। वह मरणासन्न होकर वापस लौटने लगा। तभी उसे एक विद्वान महात्मा मिले। उन्होंने उसे भोजन पानी कराया, तो वह किसान उनके चरणों में गिरकर वह लोमड़ी की बात बताते हुए बोला, महाराज, भगवान ने उस अपंग लोमड़ी पर दया दिखाई पर मैं तो मरते मरते ...

श्रवण कुमार की कहानी

 🌳🦚आज की कहानी🦚🌳 💐💐 श्रवण कुमार 💐💐 पौराणिक युग में शांतुनु नामक एक सिद्ध साधू थे, इनकी पत्नी भी एक सिद्ध धर्म परायण नारी थी , कहानी उस समय की हैं, जब शांतुनु और उनकी पत्नी बहुत वृद्ध हो चुके थे और उनकी आँखों की रोशनी भी चली गई थी . इन दोनों का एक पुत्र था जिसका नाम था श्रवण कुमार । श्रवण कुमार बहुत ही सरल स्वभाव का व्यक्ति था . माता-पिता के लिए उसके मन में बहुत प्रेम एवम श्रद्धा थी वो दिन रात अपने माता-पिता की सेवा करता था ।  अपने माता पिता का बच्चो की तरह लालन पालन करता था । उसके माता पिता भी स्वयं को गौरवशाली महसूस करते थे और अपने पुत्र को दिन रात हजारो दुआये देते थे । कई बार दोनों एक दुसरे से कहते कि हम कितने धन्य हैं कि हमें श्रवण जैसा मातृभक्त पुत्र मिला, जिसने स्वयं के बारे में ना सोच कर, अपना पूरा जीवन, वृद्ध नेत्रहीन माता पिता की सेवा में लगा दिया ।  इसकी जगह कोई अन्य होता तो विवाह के बाद केवल स्वयं का हित सोचता और बूढ़े नेत्रहीन माता-पिता को कही छोड़ आता और ख़ुशी से अपना जीवनव्यापन करता । जब ये बात श्रवण ने सुनी तो उसने माता पिता से कहा कि मैं कुछ भी भिन्न न...

सरस्वती के भाई ,

   🌳🦚आज की कहानी🦚🌳 💐💐सरस्वती के  भाई💐 अयोध्या के बहुत निकट ही पौराणिक नदी कुटिला है । जिसे आज टेढ़ी कहते है। उसके तट के निकट ही एक भक्त परिवार रहता था । उनके घर एक सरस्वती नाम की बालिका थी । वे लोग नित्य श्री कनक बिहारिणी बिहारी जी का दर्शन करने अयोध्या आते थे ।  सरस्वती जी का कोई सगा भाई नही था , केवल एक मौसेरा भाई ही था । वह जब भी श्री रधुनाथ जी का दर्शन करने आती, उसमे मन मे यही भाव आता की सरकार मेरे अपने भाई ही है । उसकी आयु उस समय मात्र पाँच वर्ष की थी । रक्षाबंधन से कुछ समय पूर्व उसने सरकार से कहा की मै आपको राखी बांधने आऊंगी । उसने सुंदर राखी बनाई और रक्षाबंधन पूर्णिमा पर मंदिर लेकर गयी । पुजारी जी से कहा कि हमने भैया के लिए राखी लायी है । पुजारी जी ने छोटी सी सरस्वती को गोद मे उठा लिया और उससे कहा कि मै तुम्हे राखी सहित सरकार को स्पर्श कर देता हूं और राखी मै बांध दूंगा। पुजारी जी ने राखी बांध दी और उसको प्रसाद दिया । अब हर वर्ष राखी बांधने का उसका नियम बन गया । समय के साथ वह बड़ी हो गयी और उसका विवाह निश्चित हो गया । वह पत्रिका लेकर मंदिर में आयी और कहा...

Beghar

 *🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *💐💐बेघर💐💐* यहां मत जाओ, वहां मत जाओ, इतनी देर क्यों कर दी! "उफ्फ" हर बात में रोक टोक, हर बात में नाराजगी। मैं भी गुस्से से खाना छोड़, घर से बाहर एक पार्क की तरफ बढ़ गया।  मम्मी के लगातार फोन से परेशान होकर, मैंने अपना मोबाइल फोन ही स्विच ऑफ कर दिया।  पार्क के गेट से लगे एक बेंच पर बैठने ही वाला था कि इस ठंड भरी रात में नज़र एक शख्स की तरफ गई। जो एक पतली सी चादर ओढ़े, बिल्कुल अकेला एक बैग लिए बैठा था। कुछ किताबें खोल, उस बेंच से लगे लाइट के नीचे, वो किताबों में नज़रें गढ़ाए हुए था।  ये भी शायद मेरी ही तरह गुस्से में घर से आया हो। मैंने अपनी जैकेट की चेन बंद कर पॉकेट में हाथ डाला और वहीं पास में ही बैठ गया। रात के तकरीबन दस बजे होंगे। हम दोनों के सिवा यहां कोई तीसरा नज़र नहीं आ रहा था। इसलिए मेरी नज़र बार बार उसी पर जा रही थी। मगर उसने मुझे एक बार भी नहीं देखा।उसे देख ये महसूस हो रहा था कि उसे ठंड लग रही थी। उत्सुकतावश मैंने ही पूछ लिया "तुम भी..घरवालों से नाराज हो..क्या..?" उसने मेरी तरफ देखा..फिर कुछ सोचने लग गया "मैं आप..ही से पूछ..रहा हूँ...